दुर्गेश नंदिनी--बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

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पांचवां परिच्छेद : अभिराम स्वामी का मंत्र तिलोत्तमा और विमला दोनों मन्दिर से चलकर कुशल पूर्वक अपने घर पहुंच गईं। तीन चार दिन के अनन्तर एक दिवस बीरेन्द्रसिंह अपने 'दीवानखाने' में ...

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